Monday, July 01, 2013

Bas baatein karwa lo

बस बातों की  जमा पूँजी है
सपनो की तिजोरी की यही एक कुंजी है
कभी मीठी तो कभी कडवी
थोडा चना ज्यादा चिरौंजी है
बस बातों की  जमा पूँजी है
आँखों से मेरे कही गयी
कानों में तेरे गूंजी है
बस बातों की  जमा पूँजी है
चेहरे से खिलखिलाई है
गले में अटकी रूंधी है
बस बातों की जमा पूँजी है


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